विजयदशमी

काल: पुक्ष्य नक्षत्र, त्रेता युग

स्थान: अयोध्या

पृष्ठभूमि:

प्रभु श्रीराम के राज्याभिषेक की समस्त तैयारियां पूर्ण हो चुकी थी| गुरु, ऋषियों और गणमान्य सभापतियों की उपस्थिति में राज्याभिषेक की विधि सकुशल संपन्न हो रही थी| रघुनन्दन को मात्र मुकुट धारण करना शेष था|

सभा में उपस्थित सभी गणमान्य लोग राजा दशरथ की प्रतीक्षा कर रहे थे| कुछ समय पूर्व ही वे रानी कैकेयी को लेने के लिए स्वयं उनके कक्ष में गए थे|

रानी कैकेयी के तमाम गुणों में शस्त्र और शास्त्र की विद्या भी शामिल थी| एक बार देवताओं और असुरों के संग्राम में देवराज इन्द्र ने राजा दशरथ को देवताओं की ओर से युद्ध के लिए आग्रह किया था| उस समय रानी कैकेयी भी राजा दशरथ के साथ युद्ध में सम्मिलित हुई थीं| रानी कैकेयी नें राजा दशरथ के प्राणों की रक्षा भी की थी| उसी से प्रसन्न होकर राजा दशरथ नें रानी कैकेयी को दो वचन दिए थे, जिसे रानी ने भविष्य के लिए सुरक्षित रखा था|

आज रानी कैकेयी ने उन्हीं दोनों वचनों की पूर्ति के लिए आग्रह किया| प्रथम, भरत के लिए अयोध्या का सिंघासन और दूसरा, राम को १४ वर्षों का वनवास|

अयोध्या नरेश दशरथ रानी कैकेयी की इन मांगों को सुनने के पश्चात अचेत अवस्था में भूमि पर गिरे पड़े थे|

मुख्य बिंदु:

उधर कैलाश (हिमालय) पर्वत पर महादेव शिव और देवी पार्वती अयोध्या के इस दृश्य को देख रहे थे|

पार्वती (महादेव शिव से) : प्रभु, यह क्या है?
जहां नारायण स्वयं उपस्थित हैं, वहां लोभ और मोह कैसे..?

त्रेतायुग में नारायण (भगवान विष्णु) स्वयं रघुनन्दन श्रीराम एवं सतयुग में कृष्ण के रूप में अवतरित हुए थे|

महादेव शिव (माता पार्वती से): पार्वती, नारायण इस समय मनाव अवतार में हैं|

मानव जीवन जटिलताओं, विषमताओं और चुनौतिओं से परिपूर्ण है| वह स्वयं नारायण ही क्यों न हों उन्हें इन कठिनाइयों से गुजरना ही होगा|

इसीलिए वे स्वयं मानव रूप में अवतरित होकर मनाव मात्र को इससे अवगत करना चाहते हैं|

निष्कर्ष:

जटिलताएं मानव जीवन का एक हिस्सा हैं और यह एक विशिष्ट व्यक्तित्व और भविष्य के निर्माण का एक प्रमुख अंग भी हैं|

समय सर्वशक्तिशाली है, यदि आप एवं प्रियजन स्वस्थ हैं तो इसका आनंद उत्सव के सामान मनाएं, शेष सब कुछ खोया और पुनः प्राप्त किया जा सकता है|

जीवन में असहजता को एक नया कौशल सीखने के अवसर के रूप में स्वीकार करें|

शेष महादेव की कृपा सबपर बनी रहे…आप और प्रियजनों को विजयदशमी की हार्दिक शुभकामनायें|

आशीष त्रिपाठी
गोरखपुर, १५ अक्टूबर २०२१

3 thoughts on “विजयदशमी

  1. बहुत ही अच्छा है आज के परिपेक्ष में बिल्कुल सही कहा गया है हम इन सारी बातों से सहमत हैं

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